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पित्त दोष के कारण और पित्त दोष के लक्षण

पित्त दोष से होने वाले रोग व उनके इलाज :-



पिछली पोस्ट में हमने वात दोष से होने वाले रोग व उसके इलाज के बारे में जाना था। आज हम इस पोस्ट में पित्त दोष से होने वाले रोग व उसके इलाज के बारे में जानेंगे। पोस्ट अच्छी लगे तो पोस्ट को शेयर जरूर करे।

 पित्त ज्वर -  
 बुखार तेज होना , दस्त लगना , नींद की कमी होना , उल्टी लगना , मुंह से कुछ -कुछ बकना , प्यास अधिक लगना , हाथों पैरों में जलन , चक्कर आना , कभी -कभी मुर्छित हो जाना , ये मुख्य लक्छ्ण हैं।
     
 चिकित्सा -
                            प्रवाल पिष्टी 125 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार दें या चन्द्रकला रस 125 मि.ग्राम दिन बार गर्म जल से लें

अतिसार -
                          बार -बार मल त्याग करने को अतिसार या दस्त लगना कहतें हैं यह दो तरह का होता है -
आम अतिसार , पक्वातिसार।

चिकित्सा -
                         रामबाण रस 250 मि. ग्राम  शहद के साथ दिन में 2 बार ले। या संजीवनी वटी 1 - 2 गोली दिन दो बार पानी के साथ ले।

पित्त की बवासीर -
                                       

   मस्से नीले ,  पिले या सफ़ेदी लिए हो। उनसे गर्भधार रक्त निकले , शरीर में जलन , ज्वर , मूर्च्छा , अरुचि , नीला - पीला या लाल रंग का मल आये। त्वचा ,नाख़ून व नेत्र पिले पड़ जाना , आदि लक्षण मिलते है।

चिकित्सा -
                       सप्त मालती रस 1 -5 ग्राम , पीपली 4 नग , शहद या मिश्री के साथ एक महीने तक ले या नाग केशर , मक्खन व मिश्री 50 ग्राम प्रतिदिन बकरी के दूध के साथं 30 दिनों तक सेवन करें।



अम्लपित्त (एसिडिटी )-
                                                     जिस रोग में आमाशय में बहुत अधिक अम्ल तेज़ाब पित्त बने। उसमे गले व हृदय प्रवेश में जल , भोजन न पचना , पेट व छाती में जलन , अफारा , पेट में गुडगुडाहट , अरुचि , खाया हुआ भोजन ऊपर ओर आने को होता है। जी मचलना , खट्टी व कड़वी डकार , बिना काम किये थकान , शरीर में भारीपन , अंगो का टूटना , सिर में पीड़ा , मल गांठो के रुप में गाढ़ा या पतला हो सकता है।


चिकित्सा -
                         सूत शेखर रस 250 मि. ग्रामं शहद के साथ दिन में दो बार लें। या नारिकेल खण्ड 5 - 10 ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ लें।            

पित्त संग्रहणी -
                                   इसमें नीला -पीला , पतला पानी सहित दस्त ,खट्टी डकार , हृदय व कंठ में दाह , भोजन में अरुचि ,प्यास अधिक लगना आदि लक्षण दिखाई देते है।

चिकित्सा -
                          जायफल , चित्रक , श्वेत चंदन , बायविडंग , छोटी इलायची , भीम सैनी कपूर ,वंशलोचन , श्वेत जीरा , सौंठ ,कालीमिर्च ,पीपल , तगर , पत्रज व लौंग सभी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले। 10 ग्राम चूर्ण , 5 ग्राम शोधित भांग , 20 ग्राम मिश्री के साथ ले। 

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