कफ दोष में होने वाले रोग व कफ दोष का आयुर्वेदिक इलाज :-
पिछली दो पोस्टो में हमने वात और पीत दोष से होने वाले रोग व उनके इलाज के बारे में जाना था आज हम इस पोस्ट में कफ दोष के लक्षण , रोग व उसके इलाज के बारे जानेंगे।
कफ ज्वर :-
हल्का कफ बुखार , अकड़ाहट , आलस्य, खाने की इच्छा न होना, अधिक नींद आना , जुकाम होना, खांसी , शरीर में भारीपन , ठंड का लगना आदि इसके लक्षण है।
चिकित्सा :-
त्रिभुवन कीर्ति रस 120 मि. ग्राम दिन में तीन बार गर्म जल से दें या सीतोप्लादी चूर्ण 1 -2 ग्रामं दिन में चार बार शहद में मिलाकर दें।कफ की बवासीर :-
जिसमे मस्से मोटे हों,मंद पीड़ा हो ,मस्से ऊंचे व भारी हों ,प्यास लगे ,पेडू में अफारा हो , खांसी , हृदय पीड़ा , अरुचि , मूत्र कृच्छ , मन्दागिन ,कफ में लिपटा हुआ मल तथा सर्दी लगे , इसमें खून नहीं गिरता।
चिकित्सा :-
दात्मूणी अर्क, त्रिफला , दशमूल , चित्रक , काला निशोथ , दात्मणी 200 ग्राम लेकर 20 लीटर पानी में 21 दिन 7 किलो गुड़ के साथ रखें। स्रवण यंत्र के द्वारा इसका अर्क निकालें। 10 ग्राम प्रतिदिन सेवन करें। 1 महीने में बवासीर ठीक होगी।अपच की चिकित्सा :-
लवण भास्कर चूर्ण 5 ग्राम भोजन के बाद गाय के मठ्ठे के साथ सेवन करें या अग्निमुख चूर्ण प्रतिदिन 10 ग्राम चूर्ण जल के साथ लें। वैश्वानर या बड़वानल चूर्ण भी दे सकते हैं।
स्मरण शक्ति कम होना :-
250 ग्राम बादाम की गिरियां पानी में भिगोकर।,उसका छिलका उतार लें ,उन्हें सुखाकर पीस लें। थोड़ी सी तवासीर , काली मिर्च , मिश्री ,छोटी इलायची , चरों मंगज सभी 50-50 ग्राम कूट पीस कर व छान कर मिला ले। अंत में 100 ग्राम ब्राह्यी बूटी पीसकर मिला ले। प्रातः व साय दूध के साथ एक - एक चम्मच का सेवन कराये।ब्रह्यी घृत 5 - 10 ग्राम की मात्रा गुनगुने दूध के साथ लेने से स्मृति अच्छी होती है।
बहुमूत्र की चिकित्सा :-
- दो छुहारे भोजन के बाद रात को दूध में उबालकर पीने से लाभ होता है।
- काले तिल गुड़ के साथ खाये ( शुगर वाले गुड़ का उपयोग न करे ) एक केला 5 मिनट तक चबाकर खाये।
- घी के साथ कुटी पीसी मिर्च खाने से लाभ होगा।
भूख की कमी :-
अदरक +निम्बू का रस 5 -5 तोला, नमक लाहौरी 1 तोला मिलाकर धुप में तीन दिन तक रखे। एक - एक चम्मच भोजन के बाद पी ले। इससे भूख खुलेगी।
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