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Giloy ke fayde | गिलोय के औषधीय गुण

 गिलोय के औषधीय गुण :-



हमारे शरीर में तीन प्रकार के दोष पाए जाते है कफ दोष ,वात दोष और पित्त दोष जब तक ये तीनो दोष ठीक रहते है तब तक व्यक्ति स्वस्थ रहता है और अगर इनमे से एक भी दोष का बैलेंस अगर खराब हो जाये तो व्यक्ति के शरीर में रोग उत्पन्न होने लगते है और व्यक्ति कई बीमारियों का शिकार हो जाता है। तो इन दोषों से बचने के लिए गिलोय के कुछ उपाय है जो आज हम इस पोस्ट के जरिये आप लोगो तक शेयर करेंगे।  

    गिलोय :-

               गिलोय निदोषशासक है। हमारे शरीर में वायु,पित्त और कफ जब दूषित होते है , तो इन दोषो की वृद्धि होती है और उनका प्रकोप बढ़ने लगता है तब हमारे शरीर में अनेक प्रकार के रोग होते है। इस अवस्था में यदि गिलोय का सेवन किया जाए तो शीघ्र ही विकृत हुए दोषो का शमन होता है और रोग मिट जाता है। कहा जाता है कि गिलोय शांत करना , आयुखयवर्धक , दाहशामक ,तृषा को शांत करना , मातृदुग्ध को शुद्ध करना वृद्धि करना,  शरीर को तृप्त करना उसका गुण है। गिलोय स्निग्ध और उष्ण होने से वायु का, कुडडबी और कसैली होने से कफ और वायु का नया मधूर होने से पित्त का शमन करता है। गिलोय मध्य होने से वृद्धि वर्धक है और वह रसायन द्रव्य भी है। गिलोय के सेवन से शरीर स्थिल कोष शुद्ध होते है और उनकी वृद्धि होती है। अतः सप्तधातु वर्धक है। 

    सामान्यता देखें तो गिलोय ज्वर, पित्तजन्य व्याधि, गाउट अंगदाह , मधुप्रमेक, पाण्डु, कामला , कुष्ठ इत्यादि अनेक प्रकार के रोगो को मिटाती है।  गिलोय के सतत सेवन से वृद्धावस्था के लक्षण दिखाई नहीं देते है। गिलोय का सेवन निम्नलिखित पद्धति से करना आवश्यक है। 

    • बवासीर में मक्खन अथवा घी के साथ गिलोय सत्व का सेवन करें। 
    • अरुचि में अनार के रस में गिलोय का रस मिलाकर पिये। 
    • वमन (उल्टी ) में लाज्ञा के साथ गिलोय के रस का सेवन करें। 
    • पांडुरोग में शहद और घी के साथ गिलोय सत्व  का सेवन करे। 
    • जीर्णज्वर में शक़्कर और घी के साथ गिलोय सत्व अथवा उसका स्वरस या गिलोय वन का सेवन करे। 
    • अंगदाह में शक़्कर और सिर्फ के साथ गिलोय का स्वरस पिए। 
    • बुखार में शहद के साथ गिलोय के रस का प्रयोग करे। 
    • कुष्ठ में एरंडतेल के साथ गिलोय का रस प्रयोग करे। 
    • क्षय रोग में शक़्कर, शहद और घी के साथ गिलोय सत्व का सेवन करे। 
    • मन्दाग्नि में गोरखमुण्डी के साथ गिलोय का चूर्ण ले। 
    • जुखाम में सोंठ के साथ गिलोय के चूर्ण का सेवन करे। 
    • प्रदररोग में लीघ्र के चूर्ण के साथ गिलोय रस अथवा सत्व का सेवन करे। 
    • कामला में द्राअ के रस के साथ गिलोय का रस पिए। 
    • प्रमेट में गाय के दूध के साथ गिलोय सत्व का सेवन करे तथा गिलोय चूर्ण और त्रिफला चूर्ण का सेवन करे। 
    • वायुजन्य रोग में घी के रूप में गिलोय सत्व का सेवन करे सामान्यता गिलोय वेदनास्थापन अर्थात शूल को  मिटटी है। विशेषकर जब वायु की विकृति होती है। 
    अनुसंधान से स्पष्ट हुआ हैकि वायुजन्य ह्रदय रोग में गिलोय हितकारी है। वायुजन्य हृदय रोग में शूल एक लक्षण है और उसकी उत्पत्ति ह्रदय नाड़ियाँ और ह्रदय स्थित धमनियों में कमजोरी और पतलापन के कारण होती है , तब यहां कफदोष भी प्रभावी होता है।  ऐसी स्थिति में शक्तिप्रद औषधियाँ लाभदायी होती है। गिलोय वायु और कफनाशक, तथा मधुर विपाकी होने से अतिलाभप्रद है।  गिलोय के पयोग से हृदय के लिए शक्तिप्रद ग्लुकोनाइड की पूर्ति कर वेदना को मिटाती है।  कोष्टाक्षित प्र्फुपित वायुजन्य हृदयरोग में गिलोय के साथ  कृष्ण मरिच को पयोग करने से लाभ होता है और कफ का नाश होता है।  वायुजन्य हृदय रोग  हरिन (आर्द ) मरिच लेना चाहिए। 

    प्रमेट :-

            प्रमेट को मिटाने के लिए गिलोय को बहुत उपयोगी मानी गई है।  कफ प्रमेट और वायुजन्य प्रमेट में गिलोय अकसीर औषधि है।  वैज्ञानिको और विद्वानों ने सिद्ध किया है कि गिलोय के सेवन से शुगर (मधुमेह ) कंट्रोल होती है। 
      

    अम्लपित्त (एसिडिटी );-

                                     एसिडिटी होने पर जठर में अमलता बढ़ जाती है और पित्तदोष विकृत होने से एसिड की वृद्धि होती है।  इस अम्लता को हटाने के लिए गिलोय अति उत्तम है है।  एसिडिटी के लिए गिलोय के ताजा रस का सेवन करना चाहिए। 

    ब्लड कैंसर :-

                  ब्लड कैन्सर का नजदीकी लक्षण मन्द ज्वर है। जिसको सतत मंद ज्वर रहता है उनको भविष्य में ब्लड कैंसर हो सकता है।  ब्लड कैन्सर को रोकने के लिए गिलोय एक सफल औषधि है और रक्त विकार यथा डिमोफिलिया, थेलोसिमिया कुष्ठ रोग, सफेद दाग नथ रक्तक्षावजन्य भयानक , महाकुष्ठ इत्यादि रोगो में गिलोय का सेवन परम् हितकारी है।  गिलोय के सेवन से ब्लड स्युन मिटती है। गिलोय के सेवन से शरीर में इन्सुलिन का निर्माण होता हैऔर इसके सेवन से रक्त में इन्सुलिन की घुलनशीलता में वृद्धि होती है , इस कारण ब्लड स्यूनर कम हो जाती है। शरीर में स्यूनर की वृद्धि होने से अनेक उपद्रव होते है। 

    यहां तो कुछ उदाहरण दिये गए है गिलोय का प्रयोग अनेक रोगो को मिटाने के लिए किया जाता है। गिलोय का ताजा रस , शुष्क गिलोय का काफ , गिलोय का चूर्ण , गिलोय सत्व और गिलोय धनवटी का उपयोग होता है। यदि गिलोय उपलब्ध न हो तो गिलोय सत्व या गिलोय धनवटी  के प्रयोग से बहुत लाभ होता है। 

     नोट :- ऊपर जो भी उपचार बताया गया है वो आयुर्वेदिक व घरेलू है तो Please इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले और आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी   Please Comments  करके जरूर बताये। (धन्यवाद ) 


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