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बीमारियों को दूर करने के घरेलू नुस्खे

बीमारियों को दूर करने के घरेलू नुस्खे 

बीमारियों को दूर करने के घरेलू नुस्खे

    मोटापा 

    शरीर में जब वसा की मात्रा बढ़ जाती है और वह शरीर में एकत्रित होने लगती है तो इसी से मोटापा आता है। वह एकत्रित वैसा ही मोटापा है। मोटापा आने के बाद शरीर में सुस्ती रहती है, थकान होने लगती है। इसी कारण शुगर, ह्रदय रोग, अपच, कब्ज आदि बीमारिया  होने लगती है। 

    • सुबह-शाम खाली पेट गर्म पानी में नींबू निचोड़कर, सेंधा नमक मिलाकर पिए। 
    • 10 ग्राम सोंठ को शहद में मिलाकर चाटने से भी मोटापा कम होता है। 
    • मूली के सलाद में नींबू और नमक मिलाकर प्रतिदिन खाए। 
    • खाने के बाद एक चुटकी काले तिल चबाकर खाये।  
    • सुबह शाम प्रतिदिन 2 किलोमीटर तेज कदमो से टहले।  
    • एक्सरसाइज, व्यायाम, प्राणायाम आदि नियमित रूप से करें।

    कब्ज 

    हमारे द्वारा भोजन ग्रहण करने के बाद उसका पाचन संस्थान द्वारा पाचन होता है। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की रुकावट होती है, तो फिर भोजन सही ढंग से नहीं पचता तथा अपच होती है और फिर कब्ज होती है।  

    सोंठ+ कालीमिर्च+ पीपल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं सुबह-शाम एक-एक चम्मच लें।  कब्ज दूर होगी।  रात में दूध के साथ दो चम्मच इसबगोल खाने से कब्ज में आराम मिलता है। 

    • रात को गर्म दूध के साथ एक चम्मच त्रिफला लेने से कब्ज दूर होगा। 
    • भोजन के साथ सुबह-शाम पपीता खाने से कब्ज दूर होती है। 
    • सौंठ+हरड़ + अजवाइन को समान मात्रा में पानी में उबालें तथा वह पानी पीने से कब्ज दूर होगी। 


    पेट दर्द, एसिडिटी, अम्ल पित्त के लिए 

    पेट में कब्ज के दौरान अम्लपित्त  बनने लगता है। खट्टी डकारें आती है। पेट में भारीपन लगता है। कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती है। 

    • अजवाइन का चूर्ण शहद में मिलाकर लेने से बदहजमी दूर होती है। 
    • अजवाइन और नमक को मिलाकर उसकी फंकी गर्म पानी के साथ ले। 
    • एक ग्राम सौंठ के चूर्ण में चुटकी भर हींग और सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें। 


    अतिसार एवं संग्रहणी 

    यह आंतों का रोग है। पतले और बदबूदार दस्त होना अतिसार कहलाता है। यह अधिकांशत दूषित जल के कारण होता है या दूषित भोजन के कारण। इसमें पेट में दर्द, मरोड़, ऐठन होती है और कभी गाढ़ा या  पतला दस्त होता है।  

    • भुने हुए जीरे का चूर्ण दही के साथ खाएं। 
    • थोड़ी सी सौंफ तवे पर भूनकर उसका पाउडर बनाकर मठ्ठे के साथ ले। 
    • तेजपात के पत्ते +दालचीनी +एक चौथाई मात्रा कत्था का काढ़ा बनाकर पिलाने से दस्त तुरंत बंद होते हैं। 
    • चावलों का मांड तथा थोड़ा काला नमक और जरा सी भुनी हुई हींग मिलाकर पीने से दस्त में लाभ मिलता है।
    • 5 - 10 दाने तुलसी के बीज पीसकर गाय के दूध के साथ ले। 


    पीलिया 

    इसका मुख्य कारण शरीर में सही ढंग से खून का न बनाना है। इस कारण शरीर में पीलापन आ जाता है। सबसे पहले आंखों में पीलापन आता है। उसके बाद शरीर और मूत्र पीला होता है। भूख न लगना, भोजन को देखकर उल्टी आना, मुंह का स्वाद कड़वा होना, नाड़ी की गति धीरे चलना आदि लक्षण है।  

    • गिलोय का चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह शाम सादे पानी के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है। 
    • त्रिफला चूर्ण का काढ़ा बनाएं उसमें मिश्री और घी मिलाकर सेवन करें। 
    • 10 ग्राम सोंठ का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम उपयोग करें। 


    बवासीर 

    यह रोग मुख्यतः कब्ज के कारण होता है। जिन लोगों को कब्ज की शिकायत लंबे समय तक रहती है। उनको मुख्यतःयह रोग होता है। बवासीर दो प्रकार की होती है 1. खूनी बवासीर, 2.  बादी बवासीर। इस रोग में मल बहुत कठिनाई से निकलता है और मल के साथ खून भी निकलता है। 

    • आंवला चूर्ण 10 ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ लेने पर बवासीर में लाभ मिलता है। 
    • मूली के रस में काला नमक डालकर पीने से आराम मिलता है। 
    • 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण शहद के साथ चाटे।  
    • काले तिल और ताजे मक्खन को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट होता है। 


    उच्च रक्तचाप 

    उच्च रक्तचाप ह्रदय, गुर्दे और रक्त संचालन प्रणाली की गड़बड़ी के कारण होता है। यह रोग किसी को भी हो सकता है। जो लोग क्रोध, भय, दुख या अन्य भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, उन्हें यह रोग अधिक होता है। जो लोग परिश्रम कम करते हैं तथा अधिक तनाव में रहते हैं, शराब या धूम्रपान अधिक करते हैं। इसमें सिर में दर्द होता है और चक्कर आने लगते हैं। दिल की धड़कन तेज हो जाती है। आलस्य होना, जी घबराना, काम में मन न लगना, पाचन क्षमता कम होना और आंखों के सामने अंधेरा आना, नींद ना आना आदि लक्षण होते हैं। 

    • कच्चे लहसुन की एक- दो कली पीसकर प्रातः काल चाटने से उच्च रक्तचाप सामान्य होता है। 
    • उच्च रक्तचाप के रोगी को साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग लाभकारी होता है। 
    • सौंफ ,जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएं तथा सुबह शाम सादे पानी से ले आराम मिलेगा। 
    • आधा चम्मच दालचीनी, आधा चम्मच शहद मिलाकर गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह लें।  
    • एक चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर, पानी में उबालकर पीये। 


    निम्न रक्तचाप  

    व्यक्ति के भोजन न करने से अथवा अधिक आयु होने से निम्न रक्तचाप होता है। यानी कि बुढ़ापे के सामान्य रूप से यह बीमारी होती है। पाचन तंत्र ठीक ना होना, असफलता, निराशा और हताशा से निम्न रक्त चाप होता है। चक्कर आना, थकान होना, नाडी धीरे चलना, मानसिक तनाव, हाथ पैर ठंडे पढ़ना आदि इसके लक्षण है। 

    • गुड पानी में मिलाकर, नमक डालकर, नींबू का रस मिलाकर दिन में दो- तीन बार पिए। 
    • मिश्री में मक्खन मिलाकर खाएं। 
    • पीपल के पत्तों का रस शहद में मिलाकर चाटे। 
    • कच्चे लहसुन का प्रयोग करें, एक या दो कली प्रतिदिन दातों से कुचलकर खाएं। 


    ह्रदय में दर्द 

    आजकल की जीवन शैली में, व्यापार में, घर में तनाव के कारण यह रोग अधिक होता है। ह्रदय में धमनियो  द्वारा रक्त संचार बराबर मात्रा में नहीं होता है। धमनियों में रुकावट के कारण ही यह रोग होता है। 

    • कच्ची लोकी का रस, थोडी  हींग, थोड़ा जीरा मिलाकर सुबह-शाम पीने के साथ सेवन करने से तत्काल लाभ मिलता है। 
    • अर्जुन की छाल का 10 ग्राम पाउडर और पाषाणवैद का 10 ग्राम पाउडर लेकर 500 मिली पानी में उबालें और पानी आधा रहने पर ठंडा करके सुबह-शाम पीएं इससे ह्रदय धात की बीमारी दूर होती है। 
    • गाजर का रस निकालकर सूप बनाकर पीने से लाभ मिलता है। 
    • इस बीमारी में लहसुन का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ है। खाने में पक्के रूप में और कच्चे रूप में भी ले सकते हैं।  


    कमर दर्द 

    महिलाओं को श्वेत प्रदर या मासिक धर्म की गड़बड़ी के कारण यह दर्द होता है तथा पुरुषों को अधिक परिश्रम करने या वायुप्रकोप या गलत ढंग से उठने -बैठने या सोने से यह रोग हो जाता है। 

    • प्रातः काल खाली पेट अखरोट की गिरी खाने से कमर दर्द में आराम मिलता है। 
    • नारियल के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करें। 
    • सौंठ + हरड़ +गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, सुबह-शाम आधा चम्मच लेने से कमर दर्द में आराम मिलता है। 
    • पीपला की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम ले। 
    • नियमित एक्सरसाइज, व्यायाम और योग आदि करें, उठने बैठने में ध्यान दें। 


    दमा अस्थमा 

    जब फेफड़ों में जकड़न एवं संकुचन होने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो तो दमा की स्थिति कहलाती है।  ज्यादातर यह रोग अधिक उम्र के लोगों को होता है। धूल और धुआं भरे माहौल में रहने के कारण भी हो सकता है।  प्रायः यह रोग अनुवांशिक होता है। अत्यधिक धूम्रपान करने वालों को भी यह रोग हो सकता है। इसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है, यह तकलीफ कभी -कभी कम और कभी -कभी ज्यादा यानी घटती -बढ़ती रहती है। कभी-कभी खाँसी के साथ कफ निकलता है तो रोगी को आराम मिलता है। बलगम न निकले तो रोगी की हालत बेहाल हो जाती है। 

    • तेजपात के पत्तों का चूर्ण अदरक के रस के साथ लेने से दमे में काफी लाभ मिलता है। 
    • प्रातःकाल खाली पेट तीन-चार चम्मच अदरक का रस शहद के साथ लेने से काफी आराम मिलता है। 
    • तुलसी के पत्तों के साथ दो से तीन काली मिर्च खाने से रोग में आराम मिलता है। 
    • जब दमे का दौरा पड़े उस समय जरा सी फिटकरी जीभ  पर रखकर चूसने से तुरंत आराम मिलता है। 
    • लहसुन की कली पर लॉन्ग के तेल की दो-तीन बूंद डालकर चबाएं और गर्म पानी पिए दमे के दौरे नहीं पड़ेंगे। 

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