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मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें

मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें 

मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें


मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें। मानसिक बीमारी, जिसे मानसिक स्वास्थ्य विकार भी कहा जाता है, मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करता है। विकार जो आपकी मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक बीमारी के उदाहरणों में अवसाद, चिंता, विकार, सिजोफ्रेनिया, ईटिंग डिसऑर्डर आदि शामिल है। कई लोगों को कभी-कभी मानसिक चिंताएं होती है, लेकिन यही चिंता, मानसिक बीमारी बन जाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मानसिक रोग के शिकार बहुत से लोग इलाज करवाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग इसके बारे में न जाने क्या सोचेंगे। ऐसे में मानसिक रोगों की पहचान करना जरूरी है ताकि समय पर उसे ट्रीटमेंट दिया जा सके।

    मानसिक रोग क्या है 

    विशेषज्ञों का कहना है कि जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसे हालात को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरे को समझ नहीं पाता। एक्सपर्ट्स कहते है कि मानसिक रोगी की पहचान करना कठिन काम हो सकता है। हर व्यक्ति में मानसिक बीमारी के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है। अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाएं तो वह ठीक हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि मानसिक रोगी की पहचान समय रहते की जाए। 

    मानसिक बीमारी को पहचानने के लक्षण 

    मानसिक रोगी की पहचान के लिए मानसिक रोग के लक्षण, उसके प्रकार, परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। मानसिक बीमारी के लक्षण भावनाओं, विचारों और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। इसके लिए निम्न लक्षण होते हैं-

    • उदास महसूस करना 
    • बेचैन होना या ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी 
    • अत्यधिक भय चिंताए या अपराध की भावनाएं महसूस करना 
    • मनोदशा में अत्यधिक बदला 
    • दोस्त और अन्य गतिविधियों से अलग होना 
    • थकान, कम ऊर्जा या नींद की समस्यां ( नींद ना आना या बहुत ज्यादा नींद आना )
    • वास्तविकता से अलग हटना ( भ्रम ) 
    • दैनिक समस्याओं या तनाव से निपटने में असमर्थता 
    • शराब या नशीली दवाओं का सेवन 
    • खाने की आदतों में बड़े बदलाव 
    • अत्यधिक क्रोध या हिंसक व्यवहार 
    • आत्महत्या का विचार करना 
    • कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य विकार के लक्षणों में पेट दर्द, सिर दर्द या अन्य तरह के दर्द के रूप में दिखाई देते हैं। 

    रिस्क फैक्टर 

    • व्यक्ति या उसके संबंधी अवसाद या शराब संबंधी समस्याओं की शिकायत करते हो। 
    • जब स्वयं व्यक्ति या उसके संबंधी किसी दैवीय कारण के होने का संदेह करते हो। 
    • जब मनोरोग का कोई विशिष्ट कारण, जैसे शराब की लत या घरेलू हिंसा, स्पष्ट नजर आता हो। 
    • जब आपको मालूम हो कि व्यक्ति वैवाहिक और यौन समस्याओं जैसे संबंधों की किसी समस्या से गुजर रहा है।
    • जब आपको मालूम हो कि व्यक्ति के जीवन में बेरोजगारी या किसी प्रियजन की मृत्यु जैसी समस्या है। 
    • दर्दनाक अनुभव, जैसे कि किसी प्रकार का हमला। 
    • उपेक्षा का एक बचपन का इतिहास। 

    मानसिक रोग के लक्षण हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करते हैं कि उसके हालात कैसे हैं और उसे कौन सी मानसिक बीमारी है। कुछ लोगों में इसके लक्षण लंबे समय तक रहते हैं और साफ नजर आते हैं, जबकि कुछ लोगों में थोड़े समय के लिए ही और साफ नजर ना आए। 

    मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें 

    मानसिक बीमारी को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। हालांकि, जल्दी से जल्दी मानसिक रोगी की पहचान कर उसकी काउंसलिंग और उसकी दिनचर्या में बदलाव से मानसिक बीमारी के लक्षणों को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है। 

    चेतावनी के संकेतों पर ध्यान दें 

    अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि कौन- सी स्थितियां आपके लक्षणों को शुरू कर सकती है। एक योजना बनाएं ताकि आपको यह पता चल सके कि लक्षणों को अनुभव करने पर आपको क्या करना है।  अगर आपको कोई मानसिक बदलाव महसूस होते हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें चेतावनी के संकेत देखने के लिए फैमिली मेंबर या दोस्तों को भी बताएं। 

    संतुलित आहार लें 

    घर परिवार के लोग मानसिक रोगी की पहचान करने के बाद उसे अच्छे भोजन के लिए प्रोत्साहित करें। फल, सब्जी, फलियां और कार्बोहाइड्रेड आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनाता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है। 

    अपने लिए समय निकालें 

    यह बेहद महत्वपूर्ण है कि मानसिक रोगी को व्यवस्था के बावजूद जरूरतों और देखभाल के लिए भी कुछ समय निकालना चाहिए। आराम करने के लिए भी पर्याप्त समय बचा कर रखें। 

    लिखना शुरू करें 

    अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमें रोजाना लिखें कि आप जीवन के बारे में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होता है, और अपनी पूरी दिनचर्या उस डायरी में लिखे आपने सुबह से शाम तक क्या किया क्या नहीं किया। 

    बातचीत करें 

    अपनी समस्याओं के संबंध में बात करना स्ट्रेस दूर करने का उत्तम जरिया है। अंदर ही अंदर घुटते रहने से और भी समस्याएं पैदा हो सकती है। इसलिए दोस्तों या परिवार में किसी से बात करें, अपनी समस्या शेयर करें। फ्रेंड्स और फैमिली को भी चाहिए की मानसिक रोगी की पहचान कर, उससे ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करें। 

    मनोचिकित्सक से सलाह ले 

    मानसिक रोगी की पहचान करने के बाद उसे डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस आदि मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को दूर भगाने के लिए मनोचिकित्सक की सलाह लेने के लिए प्रेरित करें। आपको मानसिक समस्याओं की जड़ तक जाने और उसे दूर करने में मदद मिलेगी। 

    मानसिक बीमारी को दूर करती होम्योपैथी चिकित्सा 



    आज कल की व्यस्त होती जिंदगी में मनोविकार बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। जिनके कारण बहुत से मानसिक और शारीरिक रोग होते हैं। यदि समय रहते इन विकारों को पहचान कर दूर कर दियाजाए तो बहुत से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से बच सकते हैं। होम्योपैथी से इन मन केविकारों को दूर किया जा सकता है। मनोविकार कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे :- 

    गुस्सा आना

    कुछ लोगों को बहुत गुस्सा आता है। छोटी-छोटी बातों पर भी उन्हें इतना गुस्सा आता है कि गुस्से से सामान फेंकना, मारपीट करना, चीखना ये सब करने लगते हैं। धीरे-धीरे उनका यह स्वभाव बन जाता है।स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। कई बार यह विचार आता है कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे और इसीवजह से उसे बहुत क्रोध आता है। कभी-कभी जब कोई व्यक्ति इस गुस्से और अपमान को मन में दबाकररखता है तो कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इस इस बीमारी की होम्योपैथिक मेडिसिंस है-

    • केमोमिला
    • नक्स - वोमिका
    • स्टेफीसेग्रिया
    • लाइकोपोडियम

    डर लगना

    कुछ लोगों को हमेशा डर लगता है जैसे अंधेरे से, अकेले  रहने से, ऊंचाई से, मरने से, भीड़ से,एग्जाम से, रोड पार करने से और अकेलेपन से धीरे-धीरे यह डर कई तरह के शारीरिक औरमानसिक रोग पैदा कर देता है। मेडिसिन्स -

    • एकोनाईट
    • आर्जेटीकम-नाइट्रिकम
    • एनाकार्डियम
    • स्ट्रामोनियम

    रोना

    अक्सर कुछ लोग खासकर महिलाएं जरा- जरा सी बात पर रो देती है। किसी ने कुछ कहा नहीं कि आंसू बहने लगते हैं। छोटी-छोटी बात पर रोना आता है। जो कई प्रकार का मनोविकार है।

    • नेट्रम - म्यूर
    • पल्सेटिला
    • सीपिया

    शक करना

    कुछ लोगों को हर बात में शक करने की आदत होती है। छोटी-छोटी बातों में वह शक करते हैं। हर किसी को शक की नजर से देखते हैं। ऐसे लोगों के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिंस है।

    • लेकेसिस
    • हांयसोसम

    ईर्ष्या करना

    आज के समय में जहां हर जगह प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ रही है, वही लोगों में एक -दूसरे के प्रति ईर्ष्या की भावना भी बढ़ती जा रही है। जब यह विचार मन में बार-बार आने लगते हैं तो मन और तन में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इससे बचने के लिए मेडिसिन है।

    • एपिस-मेलिफिका
    • लेकेसिस
    • हांयसोसम

    नोट :- होम्योपैथी रोग के कारण को दूर कर के रोगी को ठीक किया जा सकता है प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है अतः बिना चिकित्सक परामर्श के यहां डी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें दवा का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक कि या डॉक्टर की सलाह जरूर लें I

    मानसिक रोग से बचने के लिए करें योग


    शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से दूर करने के लिए योग सबसे अच्छा तरीका है। शरीर ही नहीं योग के जरिए आप मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से भी बच सकते हैं। एक रिसर्च के अनुसार योग से मेंटल हेल्थ समस्या जैसे एंजाइटी, चिंता, तनाव, डिप्रेशन और पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर आदि को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा योग से विचार करने की क्षमता, समझने की शक्ति एवं स्मरण शक्ति को भी बढ़ाया जा सकता है। आज हम ऐसे कुछ योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को दूर कर सकते हैं और आपका दिमाग भी शांत रहेगा तो चलिए शुरू करते हैं आज के योगासन के बारे में-

    बालासन

    यह आसन मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करता है। इसके अलावा बालासन आपके नर्वस सिस्टम को शांत करने में और प्रभावित ढंग से माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद करता है।

    इस आसन के अभ्यास के लिए सबसे पहले मैट पर ( वज्रासन ) घुटने के बल बैठ जाएं और कमर बिल्कुल सीधी रखें। अब गहरी सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को सामने की ओर झुकाएं। दोनों हाथ पीछे की ओर रखें और कोशिश करें कि सिर सामने जमीन को छुए। अब जितना हो सके उतनी देर इसी अवस्था में रहने की कोशिश करें। फिर सांस छोड़ते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाते हुए फिर से वज्रासन की मुद्रा में आ जाए।

    विपरीत करनी आसन

    विपरीत करनी आसन शरीर में रक्त प्रवाह को ठीक करने के साथ मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है। इस योगासन से टेंशन और डिप्रेशन जैसी समस्या दूर हो जाती है।

    इसे करने के लिए फर्श पर सीधे लेट जाएं और हाथों को अपने शरीर के नीचे रखें। इसके बाद अपने कूल्हे को पकड़ते हुए अपना संतुलन बनाए उसके बाद धीरे-धीरे अपने पैरों और शरीर को ऊपर उठाएं। इस दौरान आपके पैर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। आप इस आसन को करते समय अपनी गर्दन और कमर पर कम दबाव के लिए तकिए का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब इस मुद्रा में 10 - 15 मिनट तक रहे।

    शवासन

    मेडिटेशन करने के लिए यह योग की सबसे अच्छी मुद्रा है। यह मानसिक स्वास्थ्य को बूस्ट करके शरीर को आराम पहुंचाने में मदद करता है

    शवासन करने के लिए पीठ के बल फर्श पर लेट जाए। इसके बाद हाथों को साइड में रखें और आंखों को बंद कर ले और सांस ले। इस मुद्रा में 5 से 10 मिनट रहे।

    उत्तानासन

    यह आसन टेंशन, डिप्रेशन को दूर करने के साथ मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।

    इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपने हाथों को अपने पीठ पर रखें और सांस ले। अब अपने हाथों को फैलाते हुए झुके और हाथो को पैरों के पंजों तक लें जाएं। तब तक नीचे झुके जब तक आपके हाथ फर्श को टच ना करें। ध्यान रहे इसे करते समय आपके घुटने सीधे होने चाहिए। इस आसन में 10 से 15 सेकंड तक रहे।

    तनाव से छुटकारा पाने में फायदेमंद है हार्टस्टोन मसाज



    मालिश या मसाज से शरीर के लिए के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। जिनमें शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने से लेकर माइग्रेन, बीपी, और नींद की समस्या शामिल है। कुछ मसाज थेरेपी आपके शरीर को आराम करने में मदद करती है। जबकि कुछ आपको दर्द या मांसपेशियों की समस्याओं से राहत देने समेत कई समस्याओं को दूर करने में मददगार होती है। आपने कभी हॉट स्टोन मसाज के बारे में सुना है। लेकिन आइए यहां हम हॉट स्टोन मसाज थेरेपी के बारे में विस्तार से जानते हैं

    हॉट स्टोन मसाज थेरेपी एक गर्म पत्थर की मालिश है। इसका उपयोग आपके शरीर की तनावपूर्ण मांसपेशियों और क्षतिग्रस्त टिश्यू को आराम देने के लिए किया जाता है। हॉट स्टोन मसाज में मुलायम और गर्म पत्थरों को आपके शरीर के कुछ विशिष्ट भागो जैसे छाती, हथेलियों, पैरों की अंगुलियों के बीच रखा जाता है। इस मसाज थेरेपी में पत्थरों को 130 से 145 डिग्री के बीच गर्म किया जाता है।

    हॉट स्टोन मसाज के फायदे

    तनाव और चिंता को दूर करें

    हॉट स्टोन मसाज थेरेपी की मदद से चिंता और तनाव में राहत मिल सकती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 10 मिनट की और हॉट स्टोन मसाज से तनाव और चिंता समेत स्ट्रोक वॉल्यूम में सुधार होता है।

    नींद में सुधार

    हॉट स्टोन मसाज आपकी नींद में सुधार कर सकती है। जिन लोगों को नींद नहीं आती या फिर सोने में तकलीफ होती है। वह इस मसाज थेरेपी को ले सकते हैं। 15 मिनट की हॉट स्टोन मसाज अनिद्रा की समस्या दूर कर सकती है। लेकिन ध्यान रखें कि इस मसाज को किसी एक्सपर्ट से ही करवाएं।

    मांस पेशियों के तनाव दूर करें 

    मांसपेशियों के तनाव को दूर करने के लिए हॉट स्टोन मसाज काफी फायदेमंद है। यह रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मददगार है  और मांसपेशियों की ऐंठन को कम कर सकती है। यदि आप जोड़ों के दर्द या पैरों के दर्द से परेशान रहते हैं, तो आप किसी एक्सपर्ट की मदद से इस हॉट स्टोन मसाज को करवा सकते हैं।

    ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षणों को दूर करें

    हॉट स्टोन मसाज से फाइब्रोमाइल्जिया जैसी दर्दनाक स्थितियों से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। फाइब्रोमाइल्जिया एक ऐसी स्थिति है, जो दर्द का कारण बनती है। एक अध्ययन के अनुसार 30 मिनट की हॉट स्टोन मसाज ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती है।

    इम्यूनिटी बूस्टर

    हॉट स्टोन मसाज एक इम्यूनिटी बूस्टर मसाज भी है। यह मसाज आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मददगार भी होती है। यह मसाज आपको कई बीमारियों से दूर रखने और हाई बीपी, वॉटर रिटेंशन आदि को विनियमित करने में भी मददगार है।

    नोट:-  हॉट स्टोन मसाज थेरेपी को आप किसी एक्सपर्ट की देख-रेख में करें क्योंकि यह बिना देख-रेख में किए जाने पर नुकसानदायक हो सकती है।  


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