स्वस्थ रहने की कुंजी
आज हम बात करेंगे शरीर को Healthy कैसे रखा जाये यानि कि स्वस्थ रहने की कुंजी जीवन शैली व खान-पान में बदलाव से कई रोगो से मुक्ति पाई जा सकती है। घरेलू वस्तुओं के उपयोग से शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही बीमारी पर होने वाला खर्च भी बचेगा। तो आइये शुरू करते है स्वस्थ रहने की कुंजी ( Healthy Living Tips ) के बारे में जिसे अपने जीवन में अपनाकर हम बीमारियों से बच सकते है।
- फलो का रस, अत्याधिक तेल की चीजे, मट्ठा, खट्टी चीजें रात में नहीं खानी चाहिए।
- घी या तेल की चीजें खाने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि एक-डेढ़ घंटे के बाद पानी पीना चाहिए।
- भोजन के तुरंत बाद अधिक तेज चलना या दौड़ना हानिकारक है। इसलिए कुछ देर आराम करके ही जाना चाहिए।
- हींग को सदैव देशी घी में भून कर ही उपयोग में लाना चाहिए। लेप में कच्ची हींग लगानी चाहिए।
- यदि किसी दवा को पतले पदार्थ में मिलाना हो तो चाय, कॉफी या दूध में न मिलाकर छाछ, नारियल पानी या सादे पानी में मिलाना चाहिए।
- यदि घर में किशोरी या युवती को मिर्गी के दौरे पड़ते हो तो उसे उल्टी, दस्त या लंघन नहीं कराना चाहिए।
- मल रुकने या कब्ज होने की स्थिति में यदि दस्त कराने हों तो प्रातःकाल ही कराने चाहिए, रात्रि नहीं।
- अजीर्ण तथा मंदाग्रि दूर करने वाली दवाएँ हमेशा भोजन के बाद ही लेनी चाहिए।
- किसी भी रोगी को तेल, घी या अधिक चिकने पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
- आग या किसी गर्म चीज से जल जाने पर जले भाग को ठंडे पानी में डालकर रखना चाहिए।
- आयुर्वेद में लिखा है कि निद्रा से पित्त शांत होता है, मालिश से वायु कम होती है, उल्टी से कफ कम होता है और लंघन करने से बुखार शांत होता है। इसलिए घरेलू चिकित्स्य करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
- रोगी को हमेशा गर्म अथवा गुनगुना पानी ही पिलाना चाहिए और रोगी को ठंडी हवा, परिश्रम तथा क्रोध से बचना चाहिए।
- बहुत तेज या धीमी रोशनी में पढ़ना, अत्याधिक टीवी या सिनेमा देखना, गर्म -ठंडी चीजों का सेवन करना, अधिक मिर्च मसालों का प्रयोग करना, तेज धूप में चलना इन सबसे बचना चाहिए। यदि तेज धूप में चलना भी हो तो सर और कान पर कपड़ा बांधकर चलना चाहिए।
- सिर पर कपडा बांधकर या मोज़े पहनकर कभी भी नहीं सोना चाहिए ,
- खाने पीने में विरोधी पदार्थों को एक साथ नहीं लेना चाहिए जैसे : दूध और कटहल, दूध और दही, मछली और दूध आदि चीजें एक साथ नहीं लेनी चाहिए।
- केवल शहद और घी बराबर मात्रा में मिलाकर नहीं खाना चाहिए। वह विष हो जाता है।
- शाम भोजन के बाद शुद्ध हवा में टहलना चाहिए खाने के तुरंत बाद सो जाने से पेट की गड़बड़ियाँ हो जाती है।
- तेज धुप में चलने के बाद, शारीरिक मेहनत करने के बाद या शौच जाने के तुरंत बाद पानी कभी भी नहीं पीना चाहिए।
स्वस्थ रहने की दिनचर्या
- व्यक्ति को हमेशा सूर्य निकलने से पहले उठना चाहिए और उठकर भूमि को हाथ से छूकर प्रणाम करना चाहिए। साथ ही अपने इष्टदेव को याद करते हुए कमरे से बाहर निकलना चाहिए। यदि आशमान में तारे दिखाई दे तो जरूर देखना चाहिए क्योंकि तारो को देखना , नक्षत्र को देखना अच्छा माना गया है।
- साफ जल से हाथ, मुँह और आँखों आदि को धोकर रात्रि में ताँबे के पात्र या लौटे आदि में रखा हुआ जल जिसमे चार ग्राम या एक -दो चम्मच त्रिफला चूर्ण एवं दो-चार बून्द तुलसी के जल मिलाकर शौचालय जाने से पहले नियमित रूप से अवश्य पीना चाहिए। इसके नियमित सेवन से पेट के अनेकों रोग, आँखों के रोग आदि दूर करने में मदद मिलती है।
- शौचालय जाने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करें।
- उसके बाद जो लोग स्नान कर सके या अपने हाथ पैर और मुँह को धोकर खुले पार्क आदि स्थान में जाकर थोड़ा शारीरिक व्यायाम ( Exercise ) और प्राणायाम जरूर करते रहना चाहिए।
- दांतो को नीम, गिलोय या बबूल आदि की डाली का दातुन बनाकर नियमित रूप से साफ करना चाहिए।
- रात को दाँत साफ़ करके सोये। सुबह उठ कर गुनगुना पानी बिना कुल्ला किये बैठकर, घूंट -घूंट करके पीये। एक -दो गिलास जितना आप सुविधा से पी सकें उतने से शुरुआत करके , धीरे - धीरे बढ़ा कर सवा लीटर तक पीना है।
- भोजन के बाद पानी पीना विष पीने के समान है। इसलिए खाना खाने से आधा घंटा पहले और डेढ़ घंटे बाद तक पानी नहीं पीना। डेड घंटे बाद पानी जरूर पीना।
- पानी के विकल्प में आप सुबह के भोजन के बाद मौसमी फलो ताजा रस पी सकते है, दोपहर के भोजन के बाद छाछ और अगर आप ह्रदय रोगी नहीं है तो आप दही की लस्सी भी पी सकते है। शाम के भोजन के बाद गर्म दूध। यह आवश्यक है की इन चीजों का क्रम उलट-पुलट मत करे।
- पानी जब भी पीये बैठ कर पीये और घूंट - घूंट करके पीये फ्रीजर का पानी कभी ना पीये। गर्मी के दिनों में मिट्टी के घड़े का पानी पी सकते है।
- सुबह का भोजन सूर्योदय के दो से तीन घंटे के अंदर खा लेना चाहिए। सुबह का भोजन पेट भर कर खाये।
- दोपहर का भोजन सुबह के भोजन से एक तिहाई कम करके खाएं, जैसे सुबह का भोजन तीन रोटी कहते है तो दोपहर को दो खाएं। दोपहर का भोजन करने के तुरंत बाद बाई करवट लेट जाए, चाहे तो नींद भी सकते है, मगर कम से कम मिनट अधिक से अधिक 40 मिनट। 40 मिनट से ज्यादा नहीं।
- इसके विपरीत शाम को भोजन के तुरंत बाद नहीं सोना। भोजन के बाद कम से कम 500 कदम जरूर सैर करें। संभव हो तो रात का खाना सूर्यास्त से पहले खा लें। भोजन बनाने में फ्रीजर, माइक्रोवेव ओवन, प्रेशर कूकर तथा एल्युमिनियम के बर्तनो का प्रयोग ना करे।
- खाने में रिफाइंड तेल का इस्तेमाल ना करे। आप जिस क्षेत्र में रहते है वहाँ जो तेल के बीज उगाये जाते है उसका शुद्ध तेल प्रयोग करे या उन बीजो का तेल निकलवाले , जैसे यदि आपके क्षेत्र में सरसों ज्यादा होती है तो सरसों का तेल, मूंगफली होती है तो मूंगफली का तेल, नारियल है तो नारियल का तेल। तेल सीधे -सीधे घानी से निकला हुआ होना चाहिए।
- खाने में हमेशा सेंधा नमक का ही प्रयोग करना चाहिए , न कि आयोडीन युक्त नमक का। चीनी की जगह गुड़, शक़्कर, देशी खाण्ड या धागे वाली मिश्री का प्रयोग कर सकते है।
- कोई भी नशा ना करे, चाय, कॉफी, मांसाहार, मैदा, बेकरी आदि उत्पादों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध दाँत साफ करने के बाद पीये।
- सोने के समय सिर पूर्व दिशा की तरफ करना चाहिए।
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