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अस्थमा (Asthma) को जड़ से खत्म करें

 दमा का प्राकृतिक इलाज 

दमा का प्राकृतिक इलाज


दमा अथार्थ अस्थमा श्वसन प्रणाली का रोग है। प्रदूषण व एलर्जी के कारण दमा दौरे प्रातः या सायं तथा 2:00 बजे से 5:00 बजे तक पढ़ते हैं। सर्दी के मौसम में इसका प्रकोप बढ़ जाता है। रोग पुराना होने पर कभी भी दौरे पड़ सकते हैं शहरों में 10 से 20 फीसदी रोगी अस्थमा के पाए जाते हैं दिल्ली में 40 फीसदी बच्चों को यह रोग सताता है। पुरुषों में यह रोग ज्यादा होते है। 

    अस्थमा क्या है 

    श्वसन नलिकाओं के छोटे-छोटे छिद्रों में जब श्लेष्मा भर जाता है तब श्वसननाल और संकीर्ण हो जाती है और सांस लेने में कष्ट होता है। खिंचाव महसूस होता है सांसो की लंबाई कम हो जाती है। फेफड़े सिकुड़ जाते हैं जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। 

    आयुर्वेद की दृष्टि से तीन तरह का अस्थमा होता है 

    • वातज अस्थमा - इसमें सूखी खांसी, छींके आना मुंह का सूखना, खुश्क त्वचा होना, कब्ज रहना आदि सुबह -शाम को कष्ट देता है।  
    • पित्तज अस्थमा - इसमें खांसी में सांय -सांय की आवाज होती है तथा खांसी के साथ पीला बलगम भी आता है। बुखार आता है तेरा पसीना भी आता है यह मध्यरात्रि तथा दोपहर में तंग करता है। 
    • कफज अस्थमा - इसमें  खांसी के साथ सफेद बलगम आता है कि जल्दी -जल्दी सांस लेता है।

    अन्य लक्षण:- 

    नाक बहना, सिर में भारीपन, घबराहट, बेचैनी, नाक में खुजली होना, गले में खराश एवं सूजन होना, शरीर में भारीपन तथा कमर में दर्द होना आदि है।

    अस्थमा रोग होने का कारण 

    • मुंह तथा नाक के माध्यम से एलर्जी से यह रोग उत्पन्न होता है। 
    • धूल, धुआं, फूलों की खुशबू, धूपबत्ती, दवाइयों की महक पॉलिश, पेंट की खुशबू, पुराने कपड़ों की गंध, कुत्ता, बिल्ली आदि के संपर्क तथा कैमिकल व प्रदूषण से एलर्जी होना। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार प्रतिरोधक शक्ति कम होने से होता है। 
    • लंबे समय तक सर्दी, खांसी, श्वास नली व गले की सूजन, ब्रोकाइटिस आदि रोगों के बाद दमा रोग होने की संभावना होती है। 
    • वंश परंपरा से यह  रोग अगली पीढ़ी में आता है। 
    • लंबे समय तक कब्ज रहना तथा पेट साफ ना होना। 
    • रक्त दूषित होना। 
    • ठंड लगना या निमोनिया होना। 
    • अस्थमा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा:- 
    • हल्के गर्म पानी का कभी-कभी एनिमा लेते रहे। 
    • शरीर की शुद्धि के लिए 1 सप्ताह का उपवास नींबू, शहद पानी व सूप पर करें। सप्ताह में 2 दिन या आवश्यकतानुसार कुंजल करने से फेफड़ों का कफ  बाहर निकलता है। 
    • सूत्र व जल नेती बहुत उपयोगी है।
    • पूरे शरीर को तिल या सरसों के तेल से मालिश करके प्रातः काल में 20 -30 मिनट सूर्य स्नान करने जीवनी शक्ति बढ़ती है। 
    • इलाज के दिनों रोज कटी स्नान लेने से आंते शुद्ध होगी, फिर टहलने जाए। 
    • तिल के तेल की छाती पर मालिश करने के बाद गर्म- ठंड सेक देने से अत्यधिक आराम मिलता है। छाती पर भाप देने के बाद ठंडा पैक देकर ऊपर से गर्म कपड़े को लपेट दें। 
    • यदि रोगी ज्यादा कमजोर नहीं है तो रोगी को संपूर्ण बाप स्नान कराएं। 
    • रात में सोने से पहले एवं सवेरे 10-15 मिनट बाद में सांसे ले वह छोड़े इसके लिए फेशियल स्टीम लेते है। 
    • जब स्वास्थ्य लाभ होने लगे वह भोजन करना शुरू हो जाए कटि स्नान तीसरे दिन करें। घबराया नहीं, इससे दौरे की तीव्रता पड़ सकती है। 
    • गर्माहट भरे परंतु हवादार कमरे में आराम करें बिस्तर गर्म हो। 
    • रीड की हड्डी को हल्की सी मालिश करें तथा शिकायत भी करें। 
    • धूम्रपान न करें रात को छाती लपेट प्रयोग करें। 

    योगासन एवं प्राणायाम 

    योगासन :- भुजंगासन, धनुरासन, ताड़ासन, गोमुखासन, कोणासन, मत्स्यासन।  

    प्राणायाम :- अनुलोम - विलोम, भ्रामरी, कपालभाति, भस्त्रिका आदि। 

    परहेज 

    • दमे के रोगी को चाय, चीनी, कॉफी, शराब, पान, बीड़ी, तंबाकू, गरम मसाले, तला -भुना भोजन, अंडा, मांस- मछली, मिर्च व दही से बचना चाहिए। 
    • मानसिक तनाव व चिंता से मुक्त रहना चाहिए। 
    • धूल धुआं, दुर्गंध व गंदगी से दूर रहे। 
    • बहुत ठंडा व बहुत गर्म खाना ना खाए। 
    • मौसम परिवर्तन के समय सावधान रहें। 
    • स्नान के लिए पानी न ज्यादा ठंडा, न ज्यादा गरम हो अपितु शरीर के तापमान से समान होना चाहिए। 

    भोजन तालिका 

    • सबसे पहले 1 हफ्ते नींबू +पानी+ शहद पर उपवास करें। 
    • दूसरे सप्ताह फलों के रस पर ध्यान रहे। दिन में दो बार फल व सलाद दे। 

    इसके बाद 

    • प्रातः 5.00 बजे नींबू +शहद +गर्म पानी लें।  
    • 9.30 बजे गाजर का रस या मौसमी फल व सब्जी का रस लें। 
    • दोपहर 11.30 सलाद +उबली सब्जियां +चोकर सहित आटे की चपाती +अंकुरित अन्न। 
    • 2:00 बजे रसदार फल या एक गिलास फलों का रस। 
    • दोपहर बाद 4:30 बजे पर एक गिलास हरी सब्जियों व पालक का सूप जिसमें अदरक, तुलसी के पत्ते भी मिले हो। 
    • रात्रि 7:30 बजे सलाद+ चपाती +उबली सब्जी+अंकुरित अन्न, मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति केवल कच्ची सब्जी और अंकुरित अन्न ही लें। 
    • 9:30 बजे एक गिलास गर्म पानी ले। 

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