औषधीय पौधो का महत्व
कुदरत के दिए गए वरदानों में पेड़ -पौधो का महत्वपूर्ण स्थान है। पेड़- पौधे मानवीय जीवन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इनसे न केवल भोजन संबंधी आवश्यकताओ की पूर्ति होती है बल्कि जिव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते है। इनमे औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते है आय का भी एक जरिया बन जाते है। हमारे शरीर को निरोग बनाये रखने में औषधीय पौधो का अत्यधिक महत्व होता है। पेड़ -पौधे न केवल हमे ऑक्सीजन देते है बल्कि इन औषधीय पौधो से प्राप्त होने वाली जड़ी - बूटियों को चिकित्सकों द्वारा मानव के रोगों के उपचार हेतु काम में लिया जाता है।
औषधीय पेड़ -पौधे, जड़ी-बूटियाँ
नीम -
- नीम का पौधा काफी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है जिससे आस-पास की हवा शुद्ध रहती है। यदि देखा जाए तो नीम के फायदे अंतहीन है इसे घर का डॉक्टर भी कहा जाता है।
- किसी भी तरह के त्वचा रोग से लड़ने में भी यह काफी मदद करता है। यदि नहाते समय पानी में इसकी कुछ पत्तियों को मसलकर डाल दे और फिर इसी पानी से नहाये तो आपकी त्वचा संबंधी रोग जैसी बीमारियाँ नहीं होती।
- यदि सर्दी-जुखाम हो तो इसकी पत्तियों को उबाल ले और इस पानी के भाप को साँस के जरिए अंदर ले आपको काफी आराम मिलेगा।
- नीम की पत्तियों को पीसकर चोट या मोच पर लगाने से काफी आराम मिलता है।
- बुखार में भी इसकी पत्तियां काम आती है। एक कप पानी में नीम की 4 -5 पत्तियां उबालकर पीना फायदेमंद होता है।
- नीम की कच्ची ताजा कोंपलें ( पत्तियां ) को सुबह पानी से साफ़ कर चबा-चबाकर खाने से रक्त से संबंधित बीमारियां दूर होती है।
- शुगर को खत्म करने के लिए नीम की पत्तियों का जूस निकालकर सुबह खाली पेट लेने से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम होती और रक्त में शुगर को नियंत्रण करता है।
तुलसी -
औषधीय पौधों में तुलसी को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है इसमें रोगों के कीटाणुओं को नष्ट करने की गजब की शक्ति पाई जाती है। तुलसी को भारतीय संस्कृति में माता माना जाता है इसलिए हर हिन्दू इसकी पूजा करता है और अपने आंगन में इसके पौधे को लगाए रखता है।
- तुलसी की पत्तियों में अलग प्रकार तेल मौजूद होता है। जो पत्तियों से निकलकर धीरे- धीरे हवा में फैलने लगता है। इससे आस -पास की वायु हमेशा शुद्ध और कीटाणु मुक्त होती है और इस वायु के सम्पर्क में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
- तुलसी की पत्ती, तना और बीज गठिया, लकवा तथा वात रोगों में भी फायदेमंद होते है।
- हर सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां खाने से रक्त विकार, वात, पित्त और कफ जैसी कई बीमारियां दूर होने लगती है।
- तुलसी की पत्तियों को दांतो से नहीं चबाना चाहिए इसे सीधे ही निगल लेना चाहिए।
- तुलसी, अदरक, लौंग, काली मिर्च आदि को कूटकर उसका काढ़ा बनाकर लेने से सर्दी-जुकाम, बुखार, सिरदर्द आदि कई प्रकार के रोगो में लाभ मिलता है।
आंवला -
आंवला या अमालाकी को सबसे अधिक आयुर्वेदिक घटक के रूप में कहा जा सकता है। यह भोजन और दवा दोनों के रूप में काम में लिया जाता है। यह छोटा सा फल असंख्य स्वास्थ्य लाभों से भरा है। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है।
यह जड़ी-बूटी एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है , जो की मुक्त कणो से होने वाली सेल ऑक्सीकरण को रोकती है। विरोधी उम्र और कैंसर, मधुमेह और ह्रदय रोग जैसे रोगो को रोकने के लिए एंटीऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण है।
आंवले के लाभ :
यह कई बीमारियों के उपचार के लिए प्रदान करता है और इसलिए इसका व्यापक रूप से आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है। आंवला विटामिन सी में बहुत समृद्ध है, और कई खनिज और कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसे विटामिन शामिल है।
इसका उपयोग सभी रोगो के उपचार के लिए किया जाता है जैसे :- पेट दर्द, कब्ज, शुगर, ताकत के लिए, कैंसर, हृदय रोग, ब्लड की खराबी, रक्त की कमी , मुँह की बदबू आदि कई प्रकार के रोगो के लिए आंवले का उपयोग किया जाता है।
हल्दी -
हल्दी जिसको Turmeric ( Curcuma Longa ) कहा जाता है यह पीसकर सब्जियों में मसाले के रूप में उपयोग में ली जाती है।हल्दी अपने गुणकारी रासायनिक तत्वों के कारण औषधि के समान लाभदायक होती है। हल्दी में रक्त साफ़ करने और सूजन को ठीक करने के मजबूत गुणकारी तत्व होते है।
अधिकांश परिवारों में सुखी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे कच्ची हल्दी भी बहुत गुणकारी होती है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक,शोधनाशक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है।
हल्दी तासीर गर्म होती है। हल्दी सेवन से पेट में छिपे कीटाणु नष्ट होते है।
हल्दी Penicillin तथा Streptomycin की तरह ही कीटाणुनाशक है। वात, पित्त, कफ के विकारो में हल्दी से फायदा होता है।
शंख -पुष्पी -
पढ़ाई में कमजोर रहने वाले बच्चो के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तने का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लगातार इस्तेमाल से बच्चो की बुद्धि तीक्ष्ण और शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है।
शंखपुष्पी को शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक, प्राकृतिक स्मृति उत्तेजक और एक अच्छी तनाव दूर करने की औषधि माना गया है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल अस्थमा लिए किया जाता है। इसे अल्सर और दिल की बीमारी आदि लिए बेहतरीन माना जाता है।
अश्वगंधा -
अश्वगंधा के पौधे में ऐसे औषधीय गुण होते है जो वजन घटाने, लकवा आदि से लड़ने में आपकी मदद करते है ये पौधे बुखार, संक्रमण और सूजन आदि शारीरिक समस्याओं के लिए उपयोग में लाए जाते है। अश्वगंधा चाय पौधों की जड़ों और पत्तियों से बनी होती है। शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चो की यादाश्त को बढ़ाने में मदद करता है।
अश्वगंधा से शरीर मजबूत होता है तथा वजन कम करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। प्लेग के लिए यह रामबाण औषधि है। इससे टूटी हड्डी को भी जोड़ा जाता है।
गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से फायदा होता है क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसमें हार्ट अटैक के खतरे को कम करने की क्षमता मौजूद होती है। यह मधुमेह से ग्रसित लोगो में मोतियाबिंद जैसी समस्या पर भी लगाम लगाता है।
अश्वगंधा के सेवन से पुरुषों में होने वाले गुप्त रोगों को भी रोका जा सकता है।
अशोक -
आमतौर पर लोग इस वृक्ष को एक सजावटी वृक्ष के रूप में जानते है। लेकिन इस पौधे के औषधीय गुण भी कुछ है। इस वृक्ष का वानस्पतिक नाम सारेका इण्डिका है। यह सिजलपिनिएसी कुल का सदस्य है। इसकी छाल का उपयोग स्तंभक के रूप में किया जाता है।
इसका काढ़ा मुख्य रूप से पेचिश, बवासीर, अतिरजःस्राव एवं श्वेतप्रदर में लाभदायक है। इसके सूखे हुए फूल मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है।
सदाबहार -
आमतौर पर लोग सदाबहार को एक सजावटी पौधे के रूप में ही जानते हैं। लेकिन इस पौधे में अनेक औषधीय गुण भी मौजूद हैं। सदाबहार एपोसाइनेसी
कुल का सदस्य है तथा इसका वानस्पतिक नाम केथेरेन्थस रोजियस है। इस
पौधे में अनेक एल्केलाइड्स पाए जाते हैं। ये एल्केलाइड्स कुछ रोगो में जीवाणुरोधी की तरह कार्य करते हैं। यह पौधा दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका एवं भारत के कुछ भागो में मधुमेह की औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। जहरीले कीट -पतंगो के काटने पर सदाबहार की पत्तियों का रस लगाने से आराम मिलता है।
एलोवेरा -
एलोवेरा का पौधा चित्र कुमारी, घृत कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह गूदेदार और रसीला पौधा होता है। एलोवेरा के रस को अमृत तुल्य बताया गया है। फोड़े-फुंसी पर भी यह गजब का असर करता है इसके अलावा मुँहासे, फ़टी एड़िया, सन बर्न, आँखों के चारो ओर काले धब्बे को भी यह दूर करता है और इन सबके अलावा बवासीर, गठिया रोग, कब्ज और हृदय रोग तथा मोटापा आदि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
एलोवेरा का रस बालों में लगाने से बाल काले, घने चमकदार और नर्म रहते है। इसके रस को त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
पत्थरचट्टा -
यदि पेट की पथरी है तो पत्थरचट्टा का पौधा आपके काम आ सकता है। इसके दो पत्तों को अच्छी तरह धोकर सुबह सवेरे खाली पेट गर्म पानी से साथ चबा के खाए , एक हफ्ते के अंदर पथरी को जड़ खत्म कर देता है। इसके बाद अल्ट्रासाउंड या सिटी स्कैन जरूर करा लें। पत्थरचट्टा के एक चम्मच रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है। यह पथरी रोग के अलावा सभी तरह के मूत्र रोग में लाभदायक होता है।
बबूल -
बबूल में पोषक तत्व, विटामिन आदि का एक अच्छा स्रोत है। 100 ग्राम बबूल में 4.28 मिलीग्राम आयरन, 0.902 मिलीग्राम मैग्नीज, 13.92 ग्राम प्रोटीन, 6.63 ग्राम वसा और 0.256 मिलीग्राम जस्ता होता है। बबूल का दातुन दांतो के लिए बहुत ही अच्छा होता है। यह वात, पित्त और कफ का इलाज करने के लिए बहुत उपयोगी होता है। गर्भाशय की ब्लीडिंग, मूत्र विकार, दर्द को ठीक करने में मदद करता है।
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